हमारे यहां दशकों से मोटे अनाज की खेती व सेवन की परंपरा रही है एक समय पर हमारे पूर्वजों की थाली का महत्वपूर्ण हिस्सा मोटे अनाज हुआ करते थे, लेकिन अगर हम आज की थाली की बात करें तो कहीं ना कहीं हमारी थाली से मोटे अनाज लुप्त हो चुके हैं और इनकी जगह ले ली है प्रायः गेहूं एवं चावल ने। 60 के दशक में आई हरित क्रांति के बाद से हमने गेहूं और चावल को थाली में सजा लिया है! आजकल की जनरेशन के सामने अगर मोटे अनाज का जिक्र भी किया जाए तो ज्यादातर लोगों को इन अनाजों के बारे में पता ही नहीं है, भोजन का हिस्सा होना तो दूर की बात है।
हमारे प्राचीन ग्रंथों जैसे यजुर्वेद में भी मोटे अनाजो का जिक्र मिलता है पर हम मोटे अनाजो से ही नही अपने प्राचीन ग्रंथो से भी काफी दूर हो चुके है, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने भी इनके पोषण लाभो को स्वीकार किया है व इन्हें भोजन में शामिल करने की सलाह दी है। यहां तक की हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी अपने तत्कालिक भाषण में मोटे अनाजों के उत्पादन एवं सेवन पर विशेष जोर दिया है एवं आगामी वर्ष इंटरनेशनल ईयर आफ मिलेट्स के रूप में मनाया जाएगा।
तो चलिए जान लेते हैं क्या होते हैं मोटे अनाज
बाजरा ,ज्वार ,मक्का ,रागी, जौ, जई या ओट्स आदि मोटे अनाज कहलाते हैं।
क्यों इन्हें मोटा अनाज कहा जाता हैं।
मोटे अनाज कम पानी व कम समय में तैयार हो जाते हैं और इनकी खेती के लिए यूरिया या दूसरे रसायनों की जरूरत भी नहीं पड़ती, साथ ही ये अनाज जल्दी खराब भी नही होते व तुलनात्मक रूप से गेहूं चावल से अधिक पौष्टिक भी होते है।
सेहत के लिए कितने फायदेमंद है मोटा अनाज
बाजरा – Pearl millets
बाजरे की तासीर गर्म होती है , बाजरा विटामिन बी एवं कई मिनरल्स से भरपूर होता है! बाजरा मैग्नीशियम का एक समृद्ध स्त्रोत है, इसके अतिरिक्त इसमे फाइबर एवं एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते है। बाजरे में फाइबर की प्रचुरता होने के कारण यह हमें कब्ज, एसिडिटी, पेट फूलना एवं ऐंठन जैसी समस्याओं को समाप्त करने में मदद करता है, साथ ही हमारी पाचन क्रिया को सुदृढ़ बनाता है व खराब कोलेस्ट्रोल LDL को खत्म कर HDL को बढ़ाता है! इसके अतिरिक्त मैग्नीशियम होने के कारण ब्लड प्रेशर व Heart के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, साथ ही टाइप 2 डायबिटीज को कम करने में मदद करता है! बाजरे में पोटेशियम होने के कारण यह ब्लड प्रेशर या रक्तचाप को कम करता है और आपके रक्त वाहिका तंत्र को सुधरता है! बाजरे में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट कैंसर पैदा करने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को भी नष्ट करते है।
ज्वार – Sorghum
ज्वार में फैट की मात्रा बहुत कम होती है और यह कार्बोहाइड्रेट्स का प्रचुरतम भंडार है, इसके अतिरिक्त इसमें आयरन व कैल्शियम पोटेशियम एवं फास्फोरस भी अच्छी मात्रा में होता है! इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि यह ग्लूटन फ्री होता है, ज्वार में फाइबर के अतिरिक्त उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन भी होता है जो आपके पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखने में मदद करते हैं जिससे आपको वजन कम करने में काफी सहायता मिलती हैं
मक्का – Maize
मक्के में विटामिन सी, फाइबर कैरोटिनॉयड एवं आईरन एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है!
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए मक्के का सेवन लाभप्रद माना गया है साथ ही आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है! आयरन की उपस्थिति के कारण एनीमिया से बचाव में भी सहायक है व फाइबर की उपस्थिति के कारण यह आपको कब्ज से भी छुटकारा दिलाता है।
रागी – Finger millet
रागी कैल्शियम का जबरदस्त स्रोत है इसमें काफी मात्रा में आयरन भी होती है, रागी खाने की सलाह मधुमेह रोगियों को दी जाती है व जिन्हें लेक्टोज इनटोलरेंस की समस्या होती है उनके लिए रागी एक महत्वपूर्ण ऑप्शन है।
आजकल बाजारों में रागी से बने बिस्किट्स वर्मीसेली उपलब्ध है।
जई – Oats
ओट्स मैं कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्नीज, विटामिन बी भरपूर मात्रा में होता है! जो लोग डायबिटीज से पीड़ित है उनके लिए Oats फायदेमंद है, इसमें एंटी ऑक्सीडेंट के उपस्थिति के कारण यह Anti-cancer भी होता है|
जौ – Barley
एक रिसर्च में यह स्वीकार किया गया है कि जौ में बीटा-ग्लूकेन नाम का एक तत्व पाया जाता है जो बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ ही उच्च रक्तचाप से राहत दिलाने का काम भी करता है, इस कारण Heart के लिये भी उपयोगी माना है! बीटा ग्लूकेन (सोल्यूबल फाइबर ) भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे वजन को घटाने में मदद मिलती है। फेलोलिक्स और बीटा-ग्लूकेन की मौजूदगी के कारण ही जौ के गुण में एंटीडायबिटिक गुण पाया जाता है जोकि टाइप-2 डायबिटीज की समस्या में राहत पहुंचाने का काम करता है इसमे कैल्शियम आयरन व फोलिक एसिड होने के कारण जौ का सेवन गर्भावस्था में करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह गर्भावस्था के दौरान एनीमिया व प्रीक्लेम्पसिया जैसी गंभीर समस्याओं से भी बचाता है। एक रिसर्च के अनुसार माना गया है कि जौ में मौजूद फाइबर कुछ हद तक पित्ताशय की पथरी को गलाने का काम भी कर सकता है।
Article by – रुपाली गुप्ता
Director – RG Nutriyoga
योग एवं न्यूट्रिशन एक्सपर्ट
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